गीतिका

 

प्रथम लक्ष्य अनुमान करें। 
फिर आगे प्रस्थान करें। 

पंचतत्व को स्वच्छ रखें 
राष्ट्रधर्म का मान करें। 

निष्ठापूर्ण कमाई से 
निज क्षमताभर दान करें। 

जीवन समीकरण - सा है 
सुख - दुख पक्ष समान करें। 

लक्ष्मी - सत्ता चंचल है 
लोग व्यर्थ अभिमान करें। 

सुमनों जैसे नित्य खिलें 
चिड़ियों - सा मृदुगान करें ।

त्रुटियों को ही दोहराकर 
नूतन अनुसंधान करें। 

-गौरीशंकर वैश्य विनम्र 
117 आदिलनगर, विकासनगर 
लखनऊ 226022 
दूरभाष 09956087585 

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