हा दीदी, लड़की थोड़ा कम पढ़ी लिखी है, बस... सिलाई कढ़ाई बहुत बढ़िया कर लेती है, हल्की सांवली है। वहाँ पर रहकर रंग साफ हो जाएगा। मेरे चचेरे ससुर की बेटी है,
राबिन की मम्मी - देखो संजय तुम तो जानते हो कि राबिन को थोड़ा कम सुनाई देता है, जो कि किसी से छिपा नही है, और ये न कोई छिपाने वाली चीज है, अच्छा होगा कि इसके बारे में लड़की वालो को पहले बता दो।
उसके बाद अगर वो तैयार होते है, तब आगे बातचीत कि जाए।
संजय - हा दीदी राबिन के कान की तकलीफ के बारे में बता दिया है, वो राबिन को देखना चाहते है। ऐसा करते है, उधर से उनको बुला लेता हूँ, और इधर से आप आ जाओ, तो मेरा यहाँ ही दोनो परिवार एक दूसरे से मिल लेगे।
यह सुनते ही राबिन की मम्मी पशोपेश में फँस गई, बिना फोटो देखे, बिना कुंडली मिलाए, लड़की देखना उचित नही था। क्या हुआ, राबिन कान से विकलांग है तो, पढ़ालिखा तो है। जीवनभर की बात है, तुरंत निर्णय लेना उचित नही था।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद राबिन की मम्मी बोली... ऐसा है संजय... लड़की की फोटो भेज दो, कम से कम घर के सभी लोग देख लेगे.... पूरा परिवार तो नही आएगा वहाँ पर....इधर चचेरा भाई संजय दुविधा में पड़ गया, फिर भी अपने साले को फोन करके लड़की की फोटो मंगवा ली। जो लड़की का खुद चचेरा भाई था।
जब सुबह राबिन ने वाट्सप्प खोला तो लड़की की फोटो मम्मी को दिखाई। फोटो देखते ही राबिन की मम्मी बोली ये तो बहुत साँवली है।
फिर राबिन के परिवार वालो ने फैसला किया कि जब लड़की पसंद ही नही है, तो बात बढ़ाने से कोई फायदा नही है। इसलिए कुछ न बोला जाए। सीधे तौर पर मना करोगे तो, खराब लगेगा।
तीन चार दिन तक जब संजय के पास राबिन की मम्मी ने फोन नही किया तो, लड़की के घर वालो ने ही कहा कि लड़के वालो के तरफ ही किसी मंदिर के पास ही दोनो परिवार एक दूसरे को देख लेगे।
संजय ने एक दिन पहले फोन करके राबिन की मम्मी से बोला कि दीदी कल पास के हनुमान मंदिर पर ही लड़की अपनी मम्मी के साथ आएगी, आप भी आ जाना, ऐसा करता हूँ कि सुबह मैं ही आ जाऊगा गाड़ी लेकर ।
अब राबिन की मम्मी क्या बोलती... मना भी नही कर पा रही थी। हा में हा मिलाकर फोन काट दी।
दूसरे दिन संजय सुबह सुबह ही पहुंच गया... इधर राबिन के परिवार में ये हुआ कि चलो देख ही लेते है लड़की को
जब संजय के साथ राबिन और उसके मम्मी पापा मंदिर पहुँचे।
तो लड़की को देखे और बिना मन के मिलकर चले आए।
क्योकि मन तो पहले ही नही था, फिर लड़की को देखकर और मन खट्टा हो गया...
घर पर आने के बाद फैसला हुआ कि अगर फोन आएगा तो साफ साफ मना कर देगे। नही आएगा तो कुछ नही बोलेगे, इधर से फोन नही करेगे, क्योकि लड़की में विशेष कोई गुण नही था।
उधर संजय भी समझ गया कि तीन चार दिन तक कोई फोन नही आया है, लगता है दीदी को लड़की पसंद नही है। और इस तरह राबिन के एक और रिश्ते की बात खत्म हो गई।
रोहित मिश्र
प्रयागराज
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