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 युगपुरुष -कुमकुम
 बिखरते सपने -सोनू टेलर
 मायके की नींद -रेनुका
 जय माँ सरस्वती  कुमकुम कुमारी
 ग़ज़ल
 होली
 होली प्रियतम से दूर
 समृद्ध हो गणतंत्र हमारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव "विदग्ध"
बसंत ऋतु-- विनय बंसल
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