मायके की नींद -रेनुका


मायके ज़रुर जाना
बरसो की थकान उतारने
ज़िम्मेदारियों का बोझ उतारने
कुछ लम्हे सुकून से गुज़ारने

माँ के आँचल तले
कुछ दिन गुज़ारने
पुरानी यादों की
पोटली टटोलने

साल में दो  बार मायके
ज़रूर जाना

अपना बचपना
फिर से जीने
माँ पापा की
सोई उम्मीदे जगाने


बच्चों पर बुआ का
प्यार लुटाने
अपना बचपन
उन्हें याद दिलाने

साल में दो बार
मायके ज़रूर जाना

अपना मनपसंद
खाने
सो रही है मत उठाओ
ये सुनने

माँ पापा कितने ज़रूरी है
ये बताने
वो अब भी बहुत महत्वपूर्ण है
ये जताने

साल में दो बार
मायके ज़रूर जाना

 रेनुका  सिंह लखनऊ


 

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ