बिखरते सपने -सोनू टेलर

समधी जी ! बारात सम्मेलन में तो नहीं आएगी । राजेश  आखिर हमारा इकलौता बेटा है । अगर आपको यह रिश्ता रखना है तो , शादी आपको घर पर ही धूमधाम से करनी होगी ।मुरलीधर ने रामसुख से कहा । समधी जी ! हम पांच भाईयों की बेटियों की शादी हैं । मेरी आर्थिक स्थिति से आप भली भांति परिचित है । घर पर शादी करने का मतलब मेरा भविष्य कर्ज में डूब जायेगा । रामसुख ने हाथ जोड़ते हुए मुरलीधर से कहा । समधी जी ! मजाक आपके मुंह से अच्छा नहीं लगता । आप ठहरे सरकारी मास्टर । महीने की आखिरी तारीख को आपकी जेब भरी होती है । तभी तो  अपने वकील बेटे के लिए आपकी दसवीं फेल बेटी को भी पसंद कर लिया । क्योंकि हमें नौकरी वाली बहू नहीं , दहेज वाली बहू चाहिए । शादी सम्मेलन में नहीं , घर पर धूमधाम से होनी चाहिए ।मुरलीधर ने पान मुंह में रखते हुए रामसुख से कहा ।
समधी जी ! आप ठहरे लड़के वाले इसलिए  नखरे तो लड़की वालो को उठाने ही होंगे ।  रामसुख ने फीकी हंसी चेहरे पर लाते हुए कहा । जून के महीने में रामसुख ने कर्ज लेकर गांव के सरकारी स्कूल में शानदार बारातियों के लिए व्यवस्था का इंतजाम किया । ताकि बेटियों की शादी अच्छे से हो जाएं । निर्धारित समय पर बारात आ गई ।  समधी जी ! आपने स्वागत की शानदार तैयारी की है । दहेज भी बढ़िया क्वालिटी का लेकर आए । मुरलीधर ने व्यवस्था का इंतजाम देखते हुए रामसुख से कहा । तभी मिट्टी का गुब्बार आसमान में उड़ते हुए । चीखने चिल्लाने की आवाज  आने लगी । सभी मेहमानों में खलबली मच गई । आखिर हुआ क्या  भोज में खाना खाते हुए लोगो ने एक दूसरे से पूछा ।  गैस सिलेंडर भपक गया है भागो सब ।  एक बाराती ने  भागते हुए कहा । लोगो में अफरा तफरी मच गई । कन्या भोज में जितने भी व्यक्ति खाना खा रहे थे । वो सभी अपनी पतले छोड़कर भागे । रामसुख दौड़कर देखने गए । कन्या भोज की बर्बादी देखकर आंखों से बरबस आंसू निकल पड़े । यह देखो पड़ गई कलेजे को ठंडक । ऐसी व्यवस्था की समधी जी आपने । मेरी नाक कटवा दी रिश्तेदारों में ,  देखो इकलौते बेटे की शादी ऐसी रही ।  मुरलीधर ने रामसुख को लताड़ लगाते हुए कहा । थोड़ी देर  में पता चला कि बाराती पीकर  आपस में लड़ने लगे । एक दूसरे पर मिट्टी फेंकने लगे । अरे समधी जी ! गर्म खून है । बहस हो गई होगी । खाना तो और बन जायेगा । मुरलीधर ने पासा पलटते हुए कहा ।  समधी जी ! यह खाना मात्र नहीं था । ; कन्या भोज  मेरा सपना था । जिसे हर बेटी का पिता उसके पैदा होते ही देखने लगता है। जिसे मैं बिखरते हुए देख रहा हूं ।  रामसुख ने मुरलीधर से कहा ।

सोनू कुमारी टेलर
अध्यापिका
गांव जावला जिला केकड़ी राजस्थान
मो० न० 8278647282


 

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