छीजने से पहले

आओ ! छीजने से पहले
अपनी हथेलियों में
बची नमी से
सींच दें कोई पौधा
जीवन -नदी
सूखने से पहले
भावनाओं की तरलता से
भिगो दें उसे
शायद
अमृत बन फूटे
कोई कोंपल
और भविष्य में
घना पेड़ बने
अपने बारे में
सोचना छोड़ दें
छीजने से पहले
सच्चाई को
स्वीकार कर लें
छीजना है नियती
जीवन की
सौंप दें धरोहर
और वसीयत
अपने हाथों
होनहार पैदा हुए हैं
हमसे पहले
और होंगे
हमारे बाद भी
आकाश किसी के
सिर पर नहीं टिका
महानता का बखान
हमारे मुख से नहीं
हमारे बाद हो
तो अच्छा है


डॉ दलजीत कौर
#2571/40 सी
चंडीगढ़ (160036)

9463743144


 

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