*पाकिस्तानियों का दर्द*
अब सुनो हमारी सरकार
अपनी आवाम की पुकार
कुछ करो काम निर्माण का
मिले जन-जन को रोजगार।
आजाद हुए हुआ 76 साल
आज भी स्थिति है बदहाल
त्याग कर संकुचित विचार
सुधारो देश का अब हाल।
देखो जन-जन है परेशान
महँगाई ने ली सबकी जान
छोड़कर विध्वंसक काम
दो निर्माण पर अब ध्यान।
छोड़कर आपसी तकरार
करो भाईचारे का विस्तार
बने सुंदर अपना देश भी
तुमसे विनती है सरकार।
देखो वो हुआ आबाद
और हो गए हम बर्बाद
जबकि दोनों साथ-साथ
हुए थे ब्रितानी से आजाद।
थोड़ा चिंतन करना जरूर
इसमें स्वयं का है कसूर
था अवसर हमारे पास भी
कुछ करने का भरपूर।
अब सुनो हमारी सरकार
थोड़ा करो तुम विचार
आओ करें शुभकाम हम
बने सुंदर अपना संसार।
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जरा रुक
जरा रुक ऐ मनुष्य
जरा रुक ऐ मनुष्य
किसलिए यूं दौड़ लगाते हो ?
क्षणिक सुख पाने के लिए,
क्यों अपना सर्वस्व गवाते हो ?
इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक..........
जरा रुक विश्राम कर,
अपने अंतर्मन का ध्यान कर।
क्या लेकर आए थे,
जिसके खोने का है डर?
क्यों है तू इतना बेकल ?
इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक......
जरा रुक विचार कर,
अपने मोह का त्याग कर।
खाली हाथ ही आए थे,
खाली हाथ ही जाना है।
तो क्यों सुबह शाम दौड़ लगाना है?
इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक......
जरा रुक ध्यान कर,
अपने कर्मों का अनुसंधान कर।
अपना चरित्र निर्माण कर,
मात पिता को प्रणाम कर ,
और गुरुजनों का सम्मान कर।
इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक.....
जरा रुक नमन कर,
मातृभूमि के स्मरण कर।
ईशदेवो का वंदन कर,
मानवों का अभिनंदन कर,
और प्रकृति का संवर्धन कर।
इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक.......
जरा रुक ख्याल कर,
देश के लिए कुछ त्याग कर।
नूतन अनुसंधान कर,
वसुधा का कल्याण कर,
फिर यहाँ से प्रस्थान कर।
इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक.....
मुंगेर, बिहार
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