नाग के पड़े सुहार ,शीश गंग श्वेत हार,
मौलि चन्द्र केश मध्य, शुभ्र हो विराजते।
वाम अंग गौरि मातु, गोद में गणेश तात,
बैल पे चढ़े सुहात, शूल शंभु धारते।
मेटते कुअंक भाल, क्या करे जु वक्र काल,
हाथ फेर शंभु नाथ, भक्त को दुलारते।
कामना यही विशेष, चाहिए कृपा अशेष
छोड़ भोग मोक्ष आज, नाथ को पुकारते।
स्वरचित अर्चना बाजपेयी
हरदोई उत्तर प्रदेश
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