वो झूठ बहुत बोलती है-राजेश भटनागर



जी हाँ !
वो झूठ बहुत बोलती है
अपने दिल के राज़
आसानी से नहीं खोलती है
मैंने कल ही कहा-
कितनी ज़ोरदार ठंड है
वो झूठ बोल गई, कहां है ठंड
मैंने कहा-
यहां मेरे कमरे में ।
वो मुंह बिचकाकर बोली
कोई ना ।
उस दिन दोपहर में
शीत लहर ....
और गुनगुनी धूप ।
मैंने कहा-
आओ सर्दी में धूप का
मज़ा लेते हैं ।
वो आंखें तरेर कर बोली-
आप ही लो मज़े
मुझे बहुत काम पड़े हैं ।
और शाम को मैंने कहा-
चलो आज बाजार चलते हैं
तुम्हें गर्म कपड़े दिलवा दें ।
वो कमर में धोती का
पल्लू खुरसकर बोली-
मेरे पास बहुत कपड़े हैं...।
वो हर बात पर झूठ बोलती है
जब उसके मुंह से
प्यार के दो शब्द सुनने को तरस जाता हूँ
तब उसके ऊपर ज़ोर से चिल्लाता हूँ-
भाड़ में गई तुम्हारी गृहस्थी
और भाड़ में जाओ तुम ।
तब वो मुस्कराती हुई
आती है मेरे पास
और शर्ट का टूटा बटन
हाथ मे ले बताती है-
कितने लापरवाह हो...
कब से टूटा है
प्यार मेरा नहीं
तुम्हारा झूठा है
हमें बच्चों का भविष्य बनाना है
और अपने दिल पर
फिलहाल ताला लगाना है ।
गृहस्थी मेरी नहीं तुम्हारी है
ये दो पहियों की गाड़ी है
इसीलिए दोनों की
जिम्मेदारी है..।
मैं तब उसे नहीं समझ पाता
फिर वो भीगी पलकों से
शर्ट का बटन टांकते हुये
जब अपने मुंह से कहती है-
आई लव यू ।
तब उसकी आँखों में
आंसुओं के मोती होते हैं...
और मैं सच और झूठ के सागर में
गोता लगाते हुए
उससे कह देता हूँ-
वाओ...., आई लव यू टू ...।
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राजेश कुमार भटनागर
A -19 -B, अमृत विहार,
गिरधारीपुरा, जयकृष्णा रेजीडेंसी के सामने,
जयपुर-302021


 

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