शीर्षक .. सिर्फ तू ही कर सकता है
हर अवसर पर दान की परंपरा
सदियों पुरानी है हमारी याद रखें ।।
अन्न, वस्त्र, जल, धन -दान करते सब
नवयुग, नवकाल ,अब नव आव्हान
नयी सोच, नये -नये दान जोड़े हम
रक्त-दान महान दान भी माने ।।
रक्त का रंग सब का है एक
रक्त -दान का धर्म सबकी रक्षा
ईश्वर ने नहीं किया कोई भेद
कर रक्त -दान , दिखा मानवता
मत घबरा, मत शरमा ,मत सोच ज्यादा
आगे बढ़,संग ले साथी ,कर थोड़ा रक्त -दान
क्यों कि मानव तू ही कर सकता यह काम।
तेरे भीतर ही है यह अमर स्त्रोत
इक रक्त करता काम अनेक
लाता बच्चों में मुस्कान, घायल में जान
कहीं चमकाता लाल बिंदिया, कहीं राखी की शान
.
मानव तू कर रक्त -दान , बाँटता चल मुस्कान
दे थोड़ा ,पा अधिक मान ले बात
हर अवसर पर दान की परंपरा
सदियों पुरानी हमारी याद रखें
रक्त -दान ,बचाए लाखों प्राण ।।
शीर्षक.. चुप क्यों हो?
पूछे
जनकसुता फिर इक बार
गली गली घूमे रावण रूप बदल
हो रहा अपहरण, बलात्कार निशदिन
मान मर्यादा सम्मान सब किताबी बातें
नये काल में, नये रूप में सीता ही लाचार
चुप क्यों हो?
पूछे
द्रुपद सुता फिर इक बार
समय बदला, ज्ञान बदला, बदला जग का रूप
चीरहरण होते खुलेआम, बेधड़क,बेझिझक
ना कोई हया,ना भय ,ना कोई बंदिश
कलयुग में नन्ही कली या खिला फूल एक समान
सखा कान्हा भी जब वज्र मौन,बोले कौन?
हर काल में द्रौपदी का सवाल
चुप क्यों हो ?
पूछे
ब्रह्मा सुता फिर इक बार
बदला युग, बदली रीति ,बदली सब नीतियाँ
शिक्षित -अशिक्षित, गर्वित-मासूम ,चंचल-भोली
नारी मन मार आज भी रहती शिला सी
नये रूप-रंग, बनाव -ढ़ंग आवरण चाहे चमकीला
शापित है नारी आज भी शिला सी बन जीती
पर नहीं बदला तो अहिल्या का श्राप
चुप क्यों हो?
पूछे
द्ररिद्र सुता फिर इक बार
गाँव, शहर, देश विश्व सब ओर
प्रगति, उन्नति, साक्षरता, शिक्षा समानता
लुभावने शब्दों का चमकदार अभियान गतिमान
नयी योजनाएं, नये कार्ड़, नये बचत खाते तैयार
फिर क्यों रोटी के नाम, रीति के नाम,हर बार
बचपन में ही ओढ़ा दी जाती है गृहस्थन की चुनरी
सामूहिक विवाह, मुफ्त शिक्षा, मनरेगा ,बैंक खाते
कागजों में दौड़े, सड़कों पर रेंगे और हाथ में मात्र दिखे
मारी जाती, बेची जाती ,गुम हो जाती
क्यूँ सिर्फ गरीब की बेटियाँ.।
चुप क्यों हो ?
ड़ा .नीना छिब्बर
.17/653
चौपासनी हाउसिंग बोर्ड़
जोधपुर.342008
मोबाईल ... 9461019319
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