तुम उदास
क्यों हो बेटा ।
अपनी गोदी में
सिर रखने दो मुझे
हां अम्मा
बहुत उदास हूं मैं ।
वो धार है न मां
तुम्हारे आंचल की तरह
विस्तृत - हरी -भरी उजली
तोड़ दी जाएगी
विस्फोटों से ।
वह नालनी की बागडरी
जिससे पिता के सन्ग
पुणती हो धान - गेहूं
अब नहीं बहेगी
अम्मा, अब तो
बर्षा भी नहीं होगी
समय पर ।
वे मोर -चकोर- तीतर
फिंजू - फाहिले
सब बनैले पंछी - पशु
नहीं दौड़ेंगे वन से वन ।
बेघर कर दिए जाएंगे
पेड़ -पंछी- पशु-आदमी ।
अम्मा !!
कुछ ही दिनों का मेहमान है
कफड़ी और जन्मजोगी का पाणी
चंद दिनों में
धूल -धुआं- शोर - टणागर्दी - अशांति
फैल जाएंगे सुनामी की तरह ।
मेरा समस्त आक्रोश- विरोध -प्रकाश
चढ़ गया है भेंट
पटवारी - नेता
और दलालों की छाड पर।
अरी अम्मा!!
आने वाला है न
सीमेंट का कारखाना।
मंदिर- वास्तु- शिल्प- कुदरत
तीरथ -मोहब्बत की
जरूरत किसे है ?
अम्मा !अब तो
सगी मौसी के बेटों ने भी
खा लिया है
मांस -भात शराब -टका
शरमाएदारों का ।
प्रधान और नेता ने
सात पुशतें कर ली हैं
मालामाल।
हवा -पानी -प्रकाश और जीवन
खरीद लिया है सब
कारखानेदारों ने।
हां अम्मा!
बहुत उदास हूं मैं
अपने आंचल में
गुपचुप रोने दो मुझे
ममता की उंगलियां
मेरे सिर पर फेरिए
या
मेरे हाथों में थमा दो बंदूक
अरी ओ कुदरत !! ... मां
तुम्हारी कैद
बर्दाश्त नहीं मुझे।
अम्मा !!
ओ मेरी अम्मा!!
बहुत उदास हूं मैं।
--०००००००----
कृष्ण चंद्र महादेविया
डाकघर महादेव सुंदर नगर
जिला मंडी हि प्र -१७५०१८
मो ७८७६३ २७१४४
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