भारत भूमि पर उतरी गंगा
पावन कर गई सबको गंगा
घोर तपस्या कर हिम गोद से
ले आये भागीरथ तुमको
भागीरथी और अलकनंदा
मिल कर बन गई पावन गंगा
सबका तुमने उद्धार किया
जो भी आया तेरे तट पर
जिसने तुझमें लगाई डुबकी
तार गई तुम सबको गंगा
कितने शहर बसाये तुमने
कितनों का पेट भरा तुमने
जिस माटी को छूकर गुजरी
हरी भरी कर डाली गंगा
जात पात न देखा किसी का
ऊंच नीच क्या है कब किसका
बिन पूछे बिन जाने सबका
सभी का बेड़ा पार किया गंगा
इतनी तो तुम पावन निकली
इतना उपकार किया हम पर
और बदले मे हमने तुमको
कितना मैला कर डाला गंगा
है अपराध हमारा ये जो
ध्यान नहीं रख पाये तुम्हारा
अब समय आ गया जागो भी
पुकारती है तुम्हें मां गंगा
यह प्रण करो भारतवासी
गंगे का दु:ख अब हर लोगे
जिसने तुमको है पवित्र किया
तुम भी स्वच्छ रखोगे गंगा
©आशा गुप्ता 'आशु'
पोर्ट ब्लेयर, अंडमान द्वीप समूह
gasha9185@gmail.co
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