गहमर रेल आन्दोलन और नव भाजपा के राजनैतिक मजदूर-अखंड गहमरी


आज के युग में जो मां-बाप पैदा करता है। उसके साथ जब हमारी नहीं पटती है। वैचारिक मतभेद हो जाते हैं या हम महसूस करते हैं कि वह हमारी स्वतंत्रता पर ओड़ा बनने लगे हैं। हमें हमारे हिंसाब से चलने नहीं देते। हमसे बड़ा बनने लगे हैं तो हम उन्हें घर से निकाल देते हैं या अपने परिवार, *(परिवार शब्द अपने आप में बहुत ही व्यापक था ।मैं था इसलिए कह रहा हूं कि आज के दौर में इस व्यापक परिवार शब्द को संकीर्ण करते हुए केवल पति-पत्नी और बच्चे तक सिमट गया है।)* तो हम अपना परिवार लेकर बच्चों को पढ़ना या रोजी-रोटी के नाम पर घर से चले जाते हैं । और बूढ़े मां-बाप को पड़ोसियों या भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं। तो ऐसे में आप कल्पना करें की किसी आंदोलन ,किसी धरने या किसी समस्या को लेकर किये गये कार्य में उसे करने वाले सभी लोग कुछ दिनों के मौजूद रहेगे़ , तो यह तो बेमानी है ।
आज रेल आंदोलन पर तरह के कमेंट आ रहे हैं। अच्छी बात है आना चाहिए। लेकिन वह कमेंट जो आ रहे हैं, वह किसके ऊपर आ रहे हैं यही पता नहीं चल पा रहा है। क्या ट्रेन न रूकने से सपा-बसपा और अन्य दलों के लोगों को परेशानी है? बाकी भाजपा के आम वोटरों को भाजपा के नेता और कार्यकर्ता हवाई-जहाज उपलब्ध करा दिये हैं?


भाजपा के हार के बाद जिस प्रकार कमेंट भाजपा का सिंबल लगा कर , कर रहे हैं मुझे तो वह भाजपाई लगते ही नहीं । वह तो हमें 2014 के बाद बनी ''नव भाजपा के राजनैतिक मजदूर'', कुछ अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के शासन -सत्ता के थूक को चाटने वाले और कुछ रेलवे आन्दोलन से उपज कर अपने आपको तुरमं खा समझने वाले लगते हैं। क्योंकि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि रेल आंदोलन से उपज को आज तुरम्म खां खुद को समझ रहे हैं उनको रात होते गली में जाने पर पड़ोसी भी बाहरी आदमी समझते होगे वो हैं।क्योंकि जो भाजपाई है उसको इतनी समझ तो है कि वह किसी गांव, शहर, संस्था विशेष को अपशब्द कहेगा तो वह उस क्षेत्र के समस्त उन मतदाताओं का अपमान करेगा जो उसे अपना मत दिये हैं।मैं सही कह रहा हूं कि गलत आप खुद नज़र उठा कर देख लें।

लगभग 35 सालों के जीवन में 25 साल समाजिक राजनीतिक जीवन जीने से मैं देखा हूं कि गहमर में भाजपा के स्वर्गीय राम धीरज सिंह जी, स्वर्गीय राम अवध सिंह जी, राम सिंह , परिक्षित सिंह, देव कुमार उपाध्याय, मुरली कुशवाहा सहित कुछ लोग मुझे भारतीय जनता पार्टी के दिखाई पड़ते रहे।और यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता उस समय से हैं जब कोई बीजेपी का नाम लेने वाला नहीं था हनुमान चौतरा में मुझे याद है कि जब भाजपा प्रत्याशी का मीटिंग हो रहा था उसे समय केवल देव कुमार उपाध्याय, राम धीरज चाचा , राम सिंह, राम अवध चाचा और सिंह मुरली कुशवाहा जैसे कुछ लोग मोटरसाइकिल की लाइट जला करके वह सभा कर रहे थे । परिक्षित सिंह जी विधान सभा चुनाव हारने के बाद सक्रिय राजनीति से लगभग संन्यास लेकर बाहर निवास बना लिये। यह चार-पांच भाजपा कार्यकर्ता गहमर में हुए कई आन्दोलनों सहित रेल आंदोलन में शुरूआत से दमदारी से उपस्थिति दर्ज कराये।उन्हें सत्ता का सहयोगी होने का डर नहीं था? लेकिन वर्ष 2014 के पहले तक समाजवादी पार्टी के दामन को थाम कर श्री ओमप्रकाश सिंह के पीछे-पीछे चलने वाले मौका परस्त कार्यकर्ता जो कि आज नव भाजपा की राजनीतिक मजदूर हुए हैं । वह फेसबुक पर ,सोशल मीडिया पर गाली दे रहे हैं। और कभी बंदे भारत रोक रहे हैं तो कभी राजधानी रोक रहे हैं। रेल आंदोलन के उपजे कुछ नेता जो कि अपने आप को गहमर का बड़ा नेता मानने लगे हैं , भ्रष्टाचार के दलदल में खुद डूबे हुए हैं । और बाते लिखेंगें जैसे सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के बाद वही हैं। रेल आंदोलन पर कमेंट बाजी करते नव भाजपा के राजनीतिक मजदूर आखिर कमेंट कर किस पर रहे हैं? अपने आप पर ही न? उनकी कल उनकी आने वाली पीढ़ियां उनके पोस्टों को देखकर के कहेगीं कि ''अपने स्वार्थसिद्धि और अपने आप को एक ईमानदार दलाल साबित करने में,अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के शासन -सत्ता के थूक को चाटने में एक ऐसी व्यवस्था जिससे सारे लोग प्रभावित थे, इसका विरोध कर रहे थे। वह अपने आप को सर्वश्रेष्ठ चम्मच घोषित कर रहे थे।लानत भेजेगीं। 
 
आज नहीं तो कल ट्रेन तो गहमर में रुक ही जाएगी क्यों की गहमर केवल चंद राजनीतिक मजदूरो,अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के शासन -सत्ता के थूक को चाटने वाले और दलालों का नहीं है । गहमर में आम आदमी जो कि ना किसी दल किसी पार्टी से है ना संस्था से है लेकिन अपनी समस्याओं को लेकर के लड़ना जानता है। जो भाजपा जैसे दलों का भी है वह सारे तथ्यों को समझ चुका है वह परेशानियों को झेल चुका है । वह अब खुद आगे आकर गहमर की आम जनता का हाथ थाम कर आंदोलन को थमेगा और गहमर में रेल का ठहराव होगा। और रेल आंदोलन के पैदावार जो आज स्वयंभू बनने दंभ लिये है वो और नव भाजपा के राजनैतिक मजदूर दिहाड़ी के लिए , दलाली के लिए, अपने फर्जीवाड़े को छुपाने के शासन -सत्ता के थूक को चाटने वाले इसी तरह बंदे भारत और राजधानी को रोकने के कमेंट पास करते रहेंगे रेल आन्दोलन को जन विरोधी साबित करते रहेगें।
*अखंड गहमरी*
9451647845

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