गंगा पर सीमा रानी की कविता

 संध्या की बेला, रंगीन आकाश,
गंगा की धारा में बहता अहसास।
शांत प्रवाह में छिपी असीम गहराई,
करें धारा को पार,करते रहें प्रयास।

सूरज की किरणें, लालिमा बिखेरें,
जल में प्रतिबिंब, सपनों को घेरे।
नाविक की आँखों में अनंत सफर,
धारा संग बहे, अनजाने हमसफ़र ।

चारों ओर छाया, सुरमई प्रकाश,
प्रकृति की गोद में है प्रेम का वास।
नाविक के गीत, लहरों का राग,
शाम का संगीत, दिल में अनुराग।

सूरज का विदा, धुंधलका छाए,
रात की चादर, धीरे-धीरे से आए।
गंगा की गोद में, सपनों का संसार,
नाविक की नाव, चलती निरंतर पार।
सीमा रानी
पटना


 

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