गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन
अरे ओ शहजादे जरा रुको रुको लगते तो तुम राजकुमार हो,
मगर अकल से जरा बीमार हो।
मां बांहो औरआंचल में समेटे पेड़ों को अपने लल्ला समान,
लिपट गई बेटियां भी जैसे वो अपना ही मेहमान ।
बोली मां पहले ही तुमने पेड़ काट जंगल बना दिये विरान,
धरती को बंजर करी, लुटी धरा की शान ।
जीव इधर-उधर भटक रहे हो करके हैरान।
तुम्हें पता है तपन का तापमान 48 डिग्री मगर तुम्हें कहा ध्यान।
तुम्हें ये क्यों ना ख्याल रहा विद्वान,
पेड़ है धरती की शान पेड़ों में ही बसी जन जीव की जान ।
तुम पहले मुझको मारो, फिर बेटियो को मार गिराओ,
मगर पेड़ों को बचा लो जीवन अपना सफल बना लो,
पेड़ से मिलती ऑक्सीजन हवा जडी बूटियां प्यारी,
हवाएं जन-जन के दिलों में खिलातीं फुलवारी।
कैसे कुल्हाड़ी लेकर चल पड़े बन के पहलवान ।
पेड़ ना होंगे तो क्या खोदोगे खदानऔर क्या खाओगे धान ।
पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ कर चलते चलो,
पर्यावरण प्रदूषण से देश बचाओ का संदेश देते चलो ।
हमें धरती को हरी भरी सजाना है पर्यावरण प्रदूषण से जीवों और लोगों को बचाना है ।
रब ने हमें जीवन दिया तो कुछ तो उसका कर्ज चुकाना है।
घर घर अलख जगाना है पेड़ लगाना , पेड़ लगाना है ।
शिवा सिहंल आबुरोड
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