शिल्पा अरोरा ९४२५६१४७७१ विदिशा मध्य प्रदेश
गंगा नदी बिहार ,उत्तराखंड ,उत्तर प्रदेश ,झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है। हरिद्वार उत्तराखंड राज्य में आता है और गंगा नदी के हर घाट पर मैंने यह देखा की जहां तक नजर जाती है वहां कोई साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता वहां के स्टाफ के लोग दान राशि लोगों से लेते जरूर है, मगर वहां कोई महिलाओं के लिए वस्त्र बदलने की भी सही व्यवस्था मैंने नहीं देखी वहां के चेंजिंग रूम के दरवाजे टूटे पड़े हैं लोग जगह-जगह वहां अपने उतारे गीले कपड़े फेक जाते हैं ,शायद जिसकी सफाई सालों तक वहां नहीं होती ।
हर जगह हर घाट पर वहां ढेरों कचरा पड़ा रहता है लोग जो खाते हैं उसका कचरा वहीं फेंक देते हैं पर मां गंगा फिर भी इसकी परवाह बिना किए अपनी रफ्तार से वहां निश्चल बहती रहती है ।बस उसमें स्नान करने के लिए अपने पापो को धोने के लिए इन बुराइयों को किनारा कर , हम गंगा नदी जाते हैं परंतु इसका उपाय तो हम सबको मिलकर ढूंढना ही होगा बल्कि करना होगा क्योंकि अगर इसकी साफ सफाई का ध्यान सुरक्षित चेंजिंग रूम अच्छे टॉयलेट, कचरा पात्र जगह-जगह एक-एक किलोमीटर की दूरी पर हो जिससे लोग यहां वहां गंदगी ना फैलाएं साफ करने वाले कर्मचारी जगह-जगह तैनात हो और भारत का हर नागरिक जो वहां जाता है वह अपनी पूरी जिम्मेदारी समझे की मुझे अपने वस्त्र यहां नहीं फेंकने शौचालय का पूरा प्रयोग करना है और पूजन की सामग्री को या खाने के छिलकों को इधर-उधर नहीं फेंकना और सरकार का या प्राइवेट तरीके से जो भी यहां की सफाई का ध्यान रखता है उसका पूरा सहयोग देना है ,तो शायद हमारी यह नदी अनंत काल तक हमें यूं ही सुख देती रहेगी और निर्मल स्नान पूजा अर्चना इन सब का लाभ और आनंद की अनुभूति कराती रहेगी।
शिल्पा अरोरा ९४२५६१४७७१ विदिशा मध्य प्रदेश
गंगा के लिए राज्य के कर्तव्य-डॉक्टर संजीदा खानम'शाहीन
1 राज्य को कर्तव्य बोध करते हुए कारखानो फेक्टरीयौ के जहरीले धुआँ को नालो मे अलग से व्यवस्था करके उनका निकास करना। राज्य को चाहिए कारखानो का गन्दा पानी का अलग से टाँके मे गिरे उसका रास्ता अलग हो ताक़ी जल प्रदूषण नियन्त्रित हो और नदी का पानी गन्दा ना हो सरकारी योजनाओ के तहत आयोजन अभियान चलाये और सरंक्षण गंगा का नामगी गंगे से नामित निर्माण हो । कोई आपदा हो अकाल हो या कार्यक्रम का आगाज हो तो इन योजनाओ का लाभ समय-समय मिल सके। जन जागरुकता अभियान से ये कार्यक्रम आयोजित सुनियोजित क्या जा सकता है। गंगा के लिये समाज के कर्तव्य;- प्रचार-प्रसार से लोगो का स्वयं का कर्तव्य है प्रदूषण ना करे। धार्मिक भावनाओं को ठेस ना पहुंचे अर्थात धार्मिक स्थलों पर सावधानी पुर्वक विधि विधान करे। सेहभागीता सहयोग से ही ये कार्य परिपूर्ण है। शिक्षा और जागरुकता से ही काम को सुनियोजित करके ही किया जन संभव है। भावी योजना सफल योजनाये मा गंगा की पवित्रता को बनाए र्स्ख सकती है।
डॉक्टर संजीदा खानम'शाहीन
गंगा के लिए राज्य के कर्तव्य-डॉक्टर संजीदा खानम'शाहीन
1 राज्य को कर्तव्य बोध करते हुए कारखानो फेक्टरीयौ के जहरीले धुआँ को नालो मे अलग से व्यवस्था करके उनका निकास करना। राज्य को चाहिए कारखानो का गन्दा पानी का अलग से टाँके मे गिरे उसका रास्ता अलग हो ताक़ी जल प्रदूषण नियन्त्रित हो और नदी का पानी गन्दा ना हो सरकारी योजनाओ के तहत आयोजन अभियान चलाये और सरंक्षण गंगा का नामगी गंगे से नामित निर्माण हो । कोई आपदा हो अकाल हो या कार्यक्रम का आगाज हो तो इन योजनाओ का लाभ समय-समय मिल सके। जन जागरुकता अभियान से ये कार्यक्रम आयोजित सुनियोजित क्या जा सकता है। गंगा के लिये समाज के कर्तव्य;- प्रचार-प्रसार से लोगो का स्वयं का कर्तव्य है प्रदूषण ना करे। धार्मिक भावनाओं को ठेस ना पहुंचे अर्थात धार्मिक स्थलों पर सावधानी पुर्वक विधि विधान करे। सेहभागीता सहयोग से ही ये कार्य परिपूर्ण है। शिक्षा और जागरुकता से ही काम को सुनियोजित करके ही किया जन संभव है। भावी योजना सफल योजनाये मा गंगा की पवित्रता को बनाए र्स्ख सकती है।
डॉक्टर संजीदा खानम'शाहीन
गंगा सरंक्षण - सीमा रानी
गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है, और इसके संरक्षण और स्वच्छता के लिए राज्य और समाज दोनों के महत्वपूर्ण कर्तव्य हैं। गंगा के प्रति राज्य के कर्तव्य:
1.प्रदूषण नियंत्रण: राज्य को गंगा में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
2.जल प्रबंधन: राज्य को गंगा के जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन करना चाहिए, जिससे जल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों सुरक्षित रहें।
3.सरकारी योजनाएं: गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) और नमामि गंगे जैसे कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।
बिहार में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया जा चुका है।
4.अवसंरचना विकास: नदी के किनारे स्वच्छता सुविधाएं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और कचरा प्रबंधन सिस्टम का विकास करना चाहिए।
5.जन जागरूकता: राज्य को लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाने चाहिए, जिससे वे गंगा की महत्ता और स्वच्छता के प्रति संवेदनशील हो सकें।
गंगा के प्रति समाज के कर्तव्य:
1.प्रदूषण न फैलाना: समाज के हर व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे गंगा में किसी भी प्रकार का कचरा या अपशिष्ट न डालें।
2.धार्मिक संस्कार: गंगा किनारे होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों और संस्कारों को पर्यावरण हितैषी तरीके से करना चाहिए।
3.सहभागिता: गंगा स्वच्छता अभियानों और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
4.शिक्षा और जागरूकता: गंगा की पवित्रता और महत्ता के बारे में अपने परिवार और समुदाय को शिक्षित करना चाहिए।
5.सहयोग: राज्य और अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे गंगा संरक्षण कार्यक्रमों में सहयोग करना चाहिए ।गंगा का संरक्षण और स्वच्छता एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें राज्य और समाज दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य और समाज दोनों मिलकर काम करें तो ही हम गंगा की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रख सकते हैं।
सीमा रानी पटना
गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदियों में से एक है, और इसके संरक्षण और स्वच्छता के लिए राज्य और समाज दोनों के महत्वपूर्ण कर्तव्य हैं। गंगा के प्रति राज्य के कर्तव्य:
1.प्रदूषण नियंत्रण: राज्य को गंगा में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
2.जल प्रबंधन: राज्य को गंगा के जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन करना चाहिए, जिससे जल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों सुरक्षित रहें।
3.सरकारी योजनाएं: गंगा की स्वच्छता और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) और नमामि गंगे जैसे कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।
बिहार में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया जा चुका है।
4.अवसंरचना विकास: नदी के किनारे स्वच्छता सुविधाएं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और कचरा प्रबंधन सिस्टम का विकास करना चाहिए।
5.जन जागरूकता: राज्य को लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाने चाहिए, जिससे वे गंगा की महत्ता और स्वच्छता के प्रति संवेदनशील हो सकें।
गंगा के प्रति समाज के कर्तव्य:
1.प्रदूषण न फैलाना: समाज के हर व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे गंगा में किसी भी प्रकार का कचरा या अपशिष्ट न डालें।
2.धार्मिक संस्कार: गंगा किनारे होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों और संस्कारों को पर्यावरण हितैषी तरीके से करना चाहिए।
3.सहभागिता: गंगा स्वच्छता अभियानों और कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
4.शिक्षा और जागरूकता: गंगा की पवित्रता और महत्ता के बारे में अपने परिवार और समुदाय को शिक्षित करना चाहिए।
5.सहयोग: राज्य और अन्य संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे गंगा संरक्षण कार्यक्रमों में सहयोग करना चाहिए ।गंगा का संरक्षण और स्वच्छता एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें राज्य और समाज दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य और समाज दोनों मिलकर काम करें तो ही हम गंगा की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रख सकते हैं।
सीमा रानी पटना
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