चित्र पर कविता में राजेश की कविता

  गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन

" ठूँठ में बदलोगे
या हरियाली सा हरियाओगे?
तो फिर काटनेवालों से
कट्टरता से फारियाओगे??
*
आँखें मूँदे बैठे हो
प्रकृतिनाशकों  को देख कर भी
कायरता के आवरण में लिपटे हो
अरे दूर से ही गरियाओगे???
*
किसी कवि ने कहा था
न रहेंगे पेड़- पौधे
न बचेंगे खेत - पथार्
तो क्या सोना- चांदी खाओगे???
*
गंगा में पानी बहुत बह चुका
धूप सुबह छह बजे ही चढ़ चुका
भू- जल लुप्त हो गया
हवा का मिठास गुप्त हो गया
अब भी ना चेतोगे
तो क्या नर्क से चिल्लाओगे???
# स्व- रचित
# राजेश
पाटलिपुत्र


 

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