डॉक्टर कीर्ति की लघुकथा आधुनिकता*
घर में पिता की लाश रखी थी,वो पिता जिनकी देह परिवर्तन अभी कुछ घंटो पहले हुआ था, घर के 3 पुत्र यह तय नहीं कर सकते थे की देह संस्कार किधर किया जाए , फिर सभी ने पिताजी जहा रहते थे वही पर करने का बोला , समाज के पंच आए बोले देह को अग्नि कोन देगा , बड़ा बेटा तुरंत सामने आया बोला मैं बड़ा हू तो में ही दूंगा, सब किर्याकर्म हो गया उसके बाद वही बड़ा बेटा बोला इस घर में तो ac नही है कुलर भी नहीं है तो हम यहां नही रुक सकते, बेचारी मां सिसकती रही यह देखकर ।
कैसी आधुनिकता है आज बेटा अपने मरे हुए बाप के लिए समय भी नहीं दे सकता।
डॉक्टर कीर्ति जैन
खरगोन (mp)
W/o श्री अनुराग जैन
खरगोन
Mo no 9425089038
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