मेरे पापा-अर्चना

बड़े चुप रहते हैं मेरे पापा
एक कोने में बैठे
कुछ नहीं कहते हैं मेरे पापा।

बड़े धीर गंभीर इंसान है
लगता हमारी जरूरतों के लिए परेशान हैं
हमारी रक्षा में खड़े वितान हैं।

कभी अपनी चाहत का
इज़हार नहीं करते मेरे पापा
लगता हम से प्यार नहीं करते ।

लेकिन जब कभी डोली सजाने की होती है बात
रात को चैन से सोए नहीं मेरे पापा
बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोए मेरे पापा।

जब भाई ने पापा के जूते को कब्जाया
दोस्त कह पापा ने उसे बड़े प्यार से गले लगाया


एक अजीब सी खुशी के अहसास में रहे थे फूल
अब मैं बड़े आराम से तुम्हारे कंधे पर सकता हूँ झूल।

हमारी नादानियों पर बड़े होले से मुस्कुराएं है मेरे पापा
हमारी जिम्मेदारियों का सारा बोझ उठाएं हैं मेरे पापा


हमारे सपनों को मिले हकीकत का ताब
दिन-रात मेहनत की भट्टी में
स्वयं को खपाए हैं मेरे पापा।

बड़े चुप रहते हैं मेरे पापा
लेकिन आँखों के इशारों से
बहुत कुछ कहते हैं मेरे पापा।

हमें अपना संपूर्ण संसार
स्वयं को इस बगिया की कश्ती का
खेवनहार कहते हैं मेरे पापा।

 अर्चना कोचर


 

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