डॉ अनुजा की कविता पिता

 नाम पता व फोटो के साथ
पिता

एक उम्र गुजरने के बाद,
एक पिता समझ में आता है l
उसके डांट फटकार में छिपा,
जीवन का व्यवहार नजर आता है।
उनके कठोर नियंत्रण से,
मन कितना कुपित होता था;
मां के प्यार भरे गोद में जाकर,
अपना रूदन होता था।
पापा का फटकार जब लगता,
तब कितना कड़वा लगता था।
मां के प्यार का मलहम पा ,
कदम उनके ही कहे पर चलता था ।
अनसुनी करना पापा की बातों का -
यह हिम्मत कहां इस मन को था ।
लेकिन जो मार्ग वो बतलाते  थे,
 उस वक्त उस पर चलना,
लगता बड़ा मुश्किल था।
आज वो काम लगता है जादू,
जब जीवन में कठिनाई से टकराते ।
यह पापा का सोच ही तो था आज का;
जिससे परिचय वो ,
कल थे कराते।
सफलता की जो चढ़ रहे सीढ़ियां,
यह पापा की देन ही तो है।
वरना ऊंचाइयों को खड़े देखते रह जाते,
जो पहली सीढ़ी  चढ़ने की हुनर पापा न देते।
सम्मान करूं मैं पापा की उस डांट की,
जिनके बेरुखीपन ने जिंदगी जीना सिखाया।
उतार - चढ़ाव के इस जीवन में,
दुर्गम परिस्थिति  में डटना सिखाया।
नाम - डॉ.अनुजा अमेरी
साकेत विहार
अनिशाबाद
पटना - 800002
बिहार


 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ