चित्र पर कविता में दीप्ति शर्मा की कविता

गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन


कितने अरमानों से कभी तुमने मुझे लगाया था,
कितने प्यार से पानी सिंचकर बड़ा  बनाया था।

मैं कुछ भी तो  नहीं चाहता हूँ तुमसे,
तुम ही तो  प्राण वायु पाते हो मुझसे,
माँ हूँ मैं तेरा और मैं  ही हूँ तेरा पिता-
तेरी हर इच्छायें  पूरी होती है मुझसे।

तुम जितना  भी मेरे  करीब  आओगे,
मुझसे हमेशा ही कुछ न कुछ पाओगे,
नीम ,तुलसी सा  पहला हकीम भी मैं-
मेरे साथ से हर रोगों को दूर भगाओगे।

मैं तुम्हारे हरेक सुख-दुःख का साथी हूँ,
तुम्हारी आती-जाती सांस के  भाती हूँ,
आज सबकी तरह मैं भी काट जाऊंगा-
तुमको  लेकर मैं बहुत ही जज्ब़ाती हूँ ।

बस एक सवाल तुमसे करना चाहता हूँ जाते-जाते,
दर्द नही होता जब मेरे सीने पे  कुल्हाड़ी हो चलाते।

दीप्ति शर्मा 'दीप '


 

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