डोली शाह की लघुकथा अवसर

सामान्य दिनों की तरह नयन जी आज अपने चाय बागान पहुंचे। वहां की भागा- दौड़ी देख श्रमिकों से जानने पर पता चला कि सोनू के छोटे बच्चे को जहरीली सर्प ने डंक मार दिया है ।उन्होंने वहीं खड़े होकर 108 को फोन किया । इतनी में कुछ श्रमिक बच्चे को गोद में लेकर पहुंचे।... इतना छोटा बच्चा!... हां ,यह भी चाय पत्ती की नर्सरी के लिए पैकेट भर रहा था ! (जैसे उन्हें कुछ मालूम ही ना था )108 का इंतजार कर ही रहे थे कि इतने में पुलिस की एक गाड़ी वहां पहुंची । क्या हुआ , किस सांप ने काटा है? इंस्पेक्टर साहब की बात सुन सभी श्रमिकों की नजरे नयन जी से मदद के गुहार लगाने लगे।... सर आप यहां ! नयन जी पूछे,
... जी , मैंने सुना काम करते हुए एक छोटे बच्चे को सर्प ने डंक मार दिया है!... हां, काटा तो है लेकिन यह अधूरी खबर आपको दी किसने ? 
...सर यह मायने नहीं रखता कि यह खबर किसने दिया ? श्रमिकों की ओर इशारा करते हुए, वह बच्चा यहां क्या कर रहा था ? और आप लोग अपने साथ छोटे बच्चों को यहां क्यों लाते हैं ? यह सही है ना कि वह काम ही कर रहा था! और ऐसे न जाने कितने ही बच्चों को पढ़ने- लिखने की उम्र में आप जैसे महानुभव बागान में काम करवा रहे हैं! वह तो कम पढ़े-- लिखे हैं लेकिन नयन जी आप जैसे चंद लोगों के कारण ही देश का भरपूर विकास नहीं हो पा रहा है 
और उन्होंने कुछ देकर मामला को रफा-दफा करना चाहा, पर पुलिस इंस्पेक्टर बाल श्रम की मामला सोच कार्यवाही करने के लिए बाध्य थे। 
 पुलिस इंस्पेक्टर एक हवलदार के साथ मां और बच्चे को अस्पताल भेजें और मालिक नयन जी को सारा खाता बही के साथ अपने पुलिस थाना । जांच करने पर उनमें बारह नाबालिग बच्चे थे जिन्हें वेतन का आधा हिस्सा देकर काम करवाया जाता था। आपको तो बाल श्रम के जुर्म में गिरफ्तार किया जा सकता है ।
 बाकी सभी बच्चे तथा उनके माता-पिताओं को पुलिस थाने में आने की अनुमति दी गई ।सभी वहां आए ,आप लोग पढ़ने - खाने की उम्र में अपनी ही बच्चों के भविष्य को क्यों बर्बाद कर रहे हैं? अभी के दो पैसे की लालच में उनका भविष्य गर्त में डाल रहे हैं।       
कम से कम बच्चों का अठारह साल तक तो परवरिश का बोझ उठाइए, उसके बाद उनका भविष्य उज्जवल होगा तो आपका गौरव बढ़ेगा ! 
  इतने में सोनू का बेटा और मां भी पहुंचे। वही बात पुलिस इंस्पेक्टर ने उसे भी समझाया-- यदि तुम तुम अपने बच्चे को अपने साथ काम पर ना लाकर विद्यालय भेजी होती तो शायद आज ऐसा कुछ ना होता ! 
 उसने नम आंखों से कहा-- हां इंस्पेक्टर साहब सचमुच , जीवन भर इस बात के लिए मैं खुद को कोसूंगी कि मेरे कारण मेरा बेटा ...... एक बार यह ठीक हो जाए मैं कैसे भी उसे विद्यालय में दाखिला कराऊंगी ।
....हां मैं भी, मैं भी ,सबकी मुंह से यही ध्वनि निकली...नयन जी का सिर शर्म से झुका रह गया। लेकिन एक महिला श्रमिक ने कहा--" हम गरीबों के बच्चों का दाखिला कराएगा कौन ?"..... उसकी चिंता मत कीजिए ।आप लोग सिर्फ हां कीजिए, और मेरे साथ कल सारे बच्चे को एक कागज पर अपना नाम, पता , ठिकाना देकर, भेज दीजिएगा ।मैं करा दूंगा ।खुशी-खुशी सारे श्रमिक वहां से चले गए। नयन भी पुलिस का हाथ गर्म कर वहां से नौ- दो -ग्यारह हो गया। उनके चेहरे पर शिकन की रेखा तो थी, पर खुद बच निकलने का अवसर पाकर खुशी - खुशी वहां से चल दिए।
      डोली शाह
  निकट --पी एच ई
पोस्ट सुल्तानी छोरा
जिला --हैलाकंदी
असम-788162
मोबाइल-9394726158

 

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