गंगा पर अपूर्वा अवस्‍थी की कविता

 देखौ देखौ गंगा मैया लहराईं
सूरज ने मैया के चरन पखारे
और सेंदुर दियो लगाय
मैया लहर लहर लहरानी
गंगा मैया की देखो अजब कहानी
सगर ने करी विनती और शंकर जटा समानी
धरती पे आयीं तारनहार हो
पानी दैवें जो गंगा जल लेवे
कबहूं ना घटै जल सब कोई लेवे
लेकिन मानत नाहीं मानुष करै मनमानी
देखौ गंगा मैया मैली कर डारी
डा अपूर्वा अवस्थी


 

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