संतोष शान की लघुकथा बोझ

         शीर्षक‌-- ‌बोझ


हमारे द्वारा बनाए विडियो के वायरल हो कर चर्चा का विषय बन जाने से हम तीनों दोस्त बहुत खुश थे हम बैठे गप्पे हांक रहे थे   " क्या यार!  बेहतरीन फिल्म शूट किया है तूने तो...!! तभी मैंने देखा आज अखबार की सुर्खियों में भी यही खबर थी‌ ( ओवर लोडेड ट्रक के पलटने से बाईक सवार की मौत‌‌  ) मुझे ध्यान आया जब हम बाईक पे चलते चलते उस बुरी तरह से डगमगाते ओवर लोडेड ट्रक का विडियो बना रहे थे उसी के बराबर से एक बाईक भी गुजर रही थी।  " ओह.. "। तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया '‌ मेरे दोस्त ने खोला तो लगभग 40-45 वर्षीया महिला बिना कुछ बोले कमरे में दाखिल हुई और सीधे मेरे सामने आ कर खडी़ हो गई जिनकी  आंखे सूजी हुई बाल बिखरे और चेहरा उदास था उसने कुछ देर मुझे एकटक देखने के बाद मेज पर रखे अखबार में छपी फोटो देख कर रो पडीं
मैंने पूछा‌ क्या हुआ आंटी आप कौन हैं  ?
बस उसने इतना कहा और वापस चली गई    " ये... बेटा था मेरा  "
मै सन्न रह गया मानो किसी ने मेरी छाती पर हथौड़ा मार दिया हो
काश..! उस समय विडियो बनाने से पहले ट्रक के बराबर में चल रहे उस शख्स को आगाह कर देता तो.... ओह...
मै शिथिलता से खड़ा खड़ा उस वायरल वीडियो की वाहवाही देख कर अनजाने अपराध के बोझ तले दबा जा रहा था

 संतोष शर्मा  " शान‌"
हाथरस‌ ( उत्तर प्रदेश‌ 



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