चित्र पर कविता में छाया साहू सक्ती की कविता

  गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन


वृक्ष कहे इंसान से,
पुत्र मेरे हाथ है ये,
मत काटो इन्हें ,
जिन्हें फैला कर बादलों से,
पानी मांगती रही,
सदियों से तुम्हारे लिए,
मुझे नहीं चाहिए गर्मी में छांव,
शीत में ओढ़ना ,बारिश में छाता,
सदियों से पीठ पर बोझ लिए हुए हूं,
और तुम हो जो मेरे हाथ काट रहे,
पुत्र मत काटो मेरे हाथ,
जो ताजी हवा ताजा फल,
जड़ी बूटी और जीवन देते रहे,
कट जाएंगे यदि मेरे सारे हाथ,
उस दिन ना पानी मिलेगा ना अनाज ।
छाया साहू सक्ती(छत्तीसगढ़)


 

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