वंदनागोपाल की लघुकथा दूज का चॉंद

 "अरे ओ शानू!जरा जल्दी तैयारी कर न् रे.... नेताजी आते होंगे!"
"हां भाई जी! मालूम है मुझे नेताजी आ रहे हैं. .. लेकिन अभी पीछे वाली गली में घूम रहें हैं, यहां तक आते-आते आधा घंटा लग ही जाएगा।"
 "देख! आते बराबर ठंडा पहले ले आना, क्योंकि प्रचार के लिए निकले हैं रूकेंगे नहीं..!"
और बीस मिनट में नेताजी आ ही गये ‌।
,"दादा,अम्मा जल्दी आओ, नेताजी आ गए...!"
 "प्रणाम दादा! आशीष दीजिए और हमें याद रखिएगा,,,!" इतना कहकर नेताजी चलने को हुए...
"आप तो सालों बाद दिखें हैं, इसके बाद फिर कब आओगे बेटा?"
"जीत पक्की होते ही फिर आऊंगा न दादा!"
 "नहीं... नहीं फिर से ईद के चांद हो जाओगे!"थोड़ा सोचकर दादा बोले।

वंदनागोपाल शर्मा "शैली"
मुपो - भाटापारा
पिन -493118 छत्तीसगढ़
93028 39704




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