मुन्नी कामत की लघुकथा परवाह



चाचा ये किसे ब्याह लाएं हैं आप ?  इसका ना पैर से चप्पल उतरता है और ना ही गोद से बेटी। हूउ..अब इसे भी पालिए और इसकी बेटी को भी।( सिलो दोती ब्याही जोड़ी को देख तनतनाते बोली।)
-अरे सीलो ऐसे क्यों जहर उगल रही हो? बेचारी का घाव अभी ताजा है, क्यों उसे कुरेद रही हो?
तुम्हारी चाची के गुजरने के बाद  मैं बाबू को छोड़ दूसरा ब्याह किया क्या..? नहीं न...! फिर ये बेचारी अपनी बेटी को कैसे छोड़ती....?
सीलो अपने मन में उठ रहे उबाल को ठंडा करो और इन्हें भी अपनी चाची की तरह ही आदर -सम्मान दो।
(शंकर की बात सुन गीता के दोनों आंखों से आंसू छलक पड़े।)

मुन्नी कामत 
गाजियाबाद 
मोबाइल नंबर - 9818832568

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