चित्र पर कविता में बिन्नी चौरसिया की कविता

  गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन

न काटो तुम वृक्ष को इनको भी दर्द होता है।
मत काटो तुम वृक्ष ये हरे भरे
ये क्या तुम्हारा कुछ बिगाड़ते हैं
वृक्षो से ही प्रकृति की शोभा
इनसे ही छाती है हरियाली
वृक्ष जो तुम काटोगे इस तरह
मिलेगा न सबको पानी
ये इस सुन्दर संसार का हिस्सा
इनसे ही है सांसो की र वानी
न काटो तुम वृक्ष को इनको भी दर्द होता है।
वृक्ष से ही पर्यावरण की शुद्धि
वृक्ष करता ऑक्सीजन की पूर्ति
वृक्ष से ही तो सब जिन्दा है
वृक्ष पशु पंछी का आशियाना
इंसानो का घनिष्ट मित्र है वृक्ष
वृक्ष से मिलती जीवन की आशा
जड़ी बुटियो का अपार खजाना
धरती मॉ की शोभा है वृक्ष
सृष्टि से जुड़ी तार है वृक्ष
न काटो तुम वृक्ष को इनको भी दर्द होता है।
खुद ही झेल कर प्रकृति की मार
हरियाली छाया देती है अपार
हरा होता है तो कई काम आता है वृक्ष
गर सूख जाए तो जलाने के काम आए
मीठे फल औषधि व खुशबू बिखेरता
फिर क्यू लोग रहते खफा
कब किसी की कुल्हाड़ी से ये कट जाए
हमेशा कट जाने के भय से कांपता है वृक्ष
अनायास ही वृक्षो को क्यूं काटा जा रहा है
धरती पर इससे संकट मंडराता जा रहा
अब तो सम्भल जाओ और फेकों कुल्हाड़ी
शपथ खाओ न काटूंगा वृक्ष को लगाऊंगा
अनगिनत वृक्ष व इस धरा को बचाऊंगा
वृक्ष है बहुत महत्वपूर्ण तुम इस बात को जान लो  
     स्वरचित मौलिक कविता
              बिन्नी चौरसिया
                   अयोध्या


 

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