नंदलाल की कहानी जयहिन्‍द

       श्वसुर मयंक के पिता जी कि मोबाईल पर संदेश आया उग्रवादियों से बहादुरी पूर्वक लड़ते हुए मयंक देश की खातिर शहीद हो गए पिता जी को जैसे बिजली का तेज झतका लगा और बड़बड़ाने हुए बोले मयंक बचपन से ही कहता था कि वह देश के दुश्मनों को खतम करेगा मेरे इकलौते बेटे ने मेरा सर गर्व से ऊंचा कर दिया शिवांगी बेटे चिंता मत करना मै अभी जिंदा हूं इतना कहते हुए पिता जी जमीन पर गिरे फिर नहीं उठे मां और मै बिल्कुल अकेले आंसुओ के समंदर में डूबते चले गए दुखों के पहाड़ में दब गए घर दरवाजे पर पूरे गांव वालो कि भीड़ एकत्र हो गई सब लोग यही कह रहे थे बाबूलाल जी बहुत अच्छे इंसान थे पता नहीं ईश्वर अच्छे लोगों के साथ ऐसा क्यों करता है यह उसकी परीक्षा है या प्रताड़ना पूरा गांव में गम डूबा था गांव वालो ने कहा कि मयंक का शव आने के बाद पिता पुत्र की अंत्येष्टि  साथ की जाएगी तीसरे दिन मयंक का शव तिरंगे में लिपटा आया कुछ फौज के अधिकारी कुछ सरकारी कर्मचारियों ने सांत्वना दी और मयंक और पिता बाबू लाल की चिता को अगल बगल रखा गया गांव वालो ने सेना के अधिारियों से अनुरोध किया कि मयंक के पिता बाबू लाल को भी सैनिक सम्मान के साथ विदाई दी जाय सैनिक अधिकारियों ने  मयंक एवं पिता जी का अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ किया गया और मुखाग्नि मैंने ही दी
मयंक और पिता जी के श्राद्ध कि सारी रस्में मैंने ही पूरी  मै मयंक के बच्चे की मां बनने वाली थी मुझे लगा कि ईश्वर ने मुझे जीने का सहारा दे दिया श्रेयांक पैदा हुआ जो हर वक़्त पूछता रहता हैं की मम्मी पापा कहा है कब आएंगे जब पूछता है श्रेयांक मै उसे मयंक कि पी कैप पहना देती हू मुझे भी लगता है नन्हा मुन्हा राही हू देश का सिपाही हू बोलो मेरे संग जय हिन्द जय हिन्द करता मयंक का बचपन है। मै अतीत में खोई थी कि तभी श्रेयांक पी कैप पहने दाखिल हुआ बोला मम्मी देखो मै पापा जैसा।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश मबाईल नंबर -9889621993


 

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