नवनीता की लघुकथा तपन का अंतर


जैसे ही लाइट गई बच्चो बड़ो मे हहाकार सा  मच गया, हाय गर्मी है गर्मी है सब बच्चे चिल्लाने लगे अरे जल्दी इन्वर्टर चालू करिए पंखे की हवा में कुछ राहत तो मिली पर बच्चे थे की पापा अब इन्वर्टर नही जनरेटर लीजिए अब गर्मी ज्यादा हो गई है।  हां भाई लेंगे  ,तुम लोग तो एसी कूलर के ऐसे आदि हो गए कि बस हमारे जमाने में तो ऐसा कुछ नही था...... बस बस पापा अब आप फिर से शुरू मत होइए अपने जमाने की कहानी लेकर बच्चो ने कहा।    मम्मी प्लीज अभी तो बर्फ होगी आप कोल्ड कॉफी ही बना दीजिए। हां हां बनाती हूं अभी। तभी दरवाजे पर घंटी बजी देखा तो कामवाली की छोटी बेटी पसीने से तरबतर खड़ी थी।जा जल्दी पहले आंगन झाड़ पोंछ दे फिर अंदर आना। जी आंटी जी अभी कर देती हूं। ये सारे बर्तन भी उठा ले जा बाहर। जी मैं ले जाती हूं। तपन का अंतर स्पष्ट झलकने लगा था।
                                 नवनीता पांडेय
                              विदिशा मध्य प्रदेश


 

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