माॅ के बारे मे तो खुब कहा,
आज पिता की बारी हे,
खामोश लब है, नम है निगाहें,
फिर भी हिम्मत उसने नही हारी है,।
जिममेदारियों का बोझ उठा,
फर्ज को अपने निभाया है,
फटी बनियान, फटे हो जुते
औरो को चमकाया है।
माॅ हो पत्नि या बहन हो,
हर रूप में उनको निभाया है।
मुखिया है घर का फिर भी,
सब को आगे बढ़ाया है।
सब की खुशियों का मान रखा,
खुद हर गम छुपाया है।
अरे पूछो तो कभी उनसे,
उन्हे अपनों ने रूलाया है।
भविष्य अच्छा हो सोचकर,
बच्चो को हर मुकाम दिया,
उनकी हर इच्छा के खातिर,
अपनी इच्छा को मार दिया।
धन्य है एसे पिता जिन्हे भगवान नें बनाया है।
पिता के रूप में वो भगवान का ही साया है।
एकता शर्मा
कोटा।
राजस्थान
प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया है।
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