रेनुका की लघुकथा मोबाइल

अंशु सुन न !  एक कोई कम दाम का अच्छा मोबाइल सर्च कर के बता बेटा ।
क्यों क्या करना है ?
अरे वो जो पार्लर का काम करती है उसका मोबाइल खराब हो गया । सारे काम तो उसे मोबाइल पर ही मिलते है ।
कोई कम दाम का अच्छा सा बता न बेटा ।
"अरे बताता हूं ! कुछ समय तो दो "
कितने दिन से बोल रही हूं तुझसे !
"अच्छा ठीक है आइये बैठिए ,मैं दिखाता हूँ आपको सर्च कर के
ये देखिए नौ हजार का '
नही मंहगा है और कम !
 ये आठ हजार
नही औऱ कम !
"अरे क्या है मम्मा ?
अरे बेटा उसकी कमाई इतनी नही है थोड़ा सस्ता देख !
"ये देखिए साथ हज़ार का सब कुछ है इसमें  फाइनल करिये ,उसे ये लिंक भेज दीजिये खरीद ले "
अरे तू आर्डर कर मैं पैसे दे रही हूं !
"क्यों आपने तो बोला था वो खरीदेगी बस बता दो "
 हाँ बोला तो था !  पर अभी है नही उसके पास मैं दे देती हूं हर महीने कटवाती जाएगी ।
 " मुझे तो पहले ही पता था ऐसा ही कुछ होगा या आप खरीद कर देगी  या आप अपना पुराना मोबाइल उसे उठा कर दे देगी ।
बेचने तो कभी देती नही है मेरी माँ !
अंशु हँसते हुए बोल पड़ा ।

रेनुका सिंह
सम्पादिका साहित्य सरोज
लखनऊ


 

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