चित्र पर कविता में ऋचा वर्मा की कविता

  गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन



एक अदना सा वृक्ष हूँ मैं,
तुम्हारे आंगन के कोने में,
चुपचाप खड़ा हूँ,
मैंने कहां तुमसे सारा जहां मांगा है,
छोटी सी जमीं और ज़रा सा आसमां मांगा है।
वर्षों से मैंने तुम्हारी जिंदगियों को सहेजा और संभाला है,
और तुमने एक झटके में मेरे अस्तित्व को मिटा डालने को ठाना है।
माना कि मुझे उखाड़ कर तुम अपना एक और घर बसा लोगे,
पर सोचो जरा, मेरे बिना यह सृष्टि न बची, तो, तुम कहा जाओगे।
सुना है, तुम्हारे विज्ञान ने दूसरे ग्रहों पर दुनिया बसाने की ठानी है,
पर हम दोनों साथ - साथ रह सके, ऐसी जुगत भिड़ाये इंसान, तब समझूं वह ज्ञानी है।
तुम्हारे दिलों में छोटी सी जगह के बदले दूंगा तुम्हे भरपूर फल और छाया।
सांसों का रिश्ता है अपना, मत समझो मुझे पराया।

ऋचा वर्मा, पटना


 

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