गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह
30 मई से 05 जून 2024 तक
आनलाइन कार्यक्रम का दूसरा दिन
दिनांक 31/05/2024
चित्र लेखन
रुको ओ मेरे भाई बंधु ,
मत काटो ये सुंदर वृक्ष,
इसकी छाया में जीवन बसता
हम सब होते दिल से तृप्त।
पेड़ की शाखें हिलती हैं,
हवा में गाती अनुपम गीत,
हर पत्ता ये कहता है,
जीने का अनमोल है प्रीत।
बचपन की यादें हैं जुड़ी,
इसकी हर डली- डली में
इसकी छाँव में खेलते हैं ,
मेरे बच्चे घड़ी - घड़ी ।
कुल्हाड़ी थामे हाथ तुम्हारा,
सोंच लो भैया एक बार,
क्या सही, क्या गलत है,
थोड़ा सा कर लो विचार।
जंगल की ये हरियाली है ,
जीवन की ये प्यारी धुन,
सब मिलजुलकर इसे बचाएं,
प्रकृति की अनमोल ये गुण ।
आओ सब मिलके गाएं
मधूर मधूर ये सुंदर गीत,
पेड़ों को कटने से बचाएं,
यही हमारे सच्चे मीत।
धरती माँ की गोद में
साथ-साथ हम पलते रहें,
प्रेम और प्रकृति की,
अनुपम जीवन धारा बहे।
सीमा सिन्हा
पटना
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