नीता की लघुकथा खोटा सिक्‍का

जब चंकी घर आया तब वह दूध पीता बच्चा था उसके आने से सबसे ज्यादा दादी नाराज थी। क्योंकि वह छुआछूत बहुत मानती थी। दादी के आंगन में आते ही चंकी इधर उधर घूमने लगा। दादी बोली अरे क्या जरूरत थी घर में इस कुत्ते के बच्चे को पालने की। सारा दिन में परेशान हो जाती हूं। तभी राजू ने कहा मेरी टीचर ने कहा था कुत्ता वफादार होता है।
मुझे इसकी वफादारी देखनी है। तभी दादी ने कहा
बेटा इसे पालना सेवा करना कठिन होता है। वह मैं कर लूंगा दादी प्लीज इसे घर में ही रहने दो। मेरी टीचर ने यह भी कहा था कि एक कुत्ता 10 चौकीदार के बराबर होता है वह नमक खिलाने वालों के घर को धोखा नहीं देता। दादी बोली जैसी तेरी मर्जी बेटा...
पर मेरे लिए तो खोटे सिक्के के सिवा कुछ ना है।
उसी दिन रात को चंकी रात को 2:00 बजे जोर-जोर से भौंकने लगा सभी आंगन में उठकर आ गए। कुछ लोगों के दौड़ने की आहट हुई। दादी... लगता है पास वाले घर में चोर थे। भाग गए साले। चंकी गेट के बाहर निकलने के प्रयास में उछलने  लगा। राजू ने उसे गोद में उठाया.. वाह मेरे दादी के खोटे सिक्के तू तो आज चल गया।
नीता चतुर्वेदी
MO.8964094682
 विदिशा मध्य प्रदेश




        

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