जीवन वह निद्रा है
जिसमें मानव स्वप्न देखता है
और फिर
सो जाता है
एक स्वप्न रहित चिर निद्रा में
जो मृत्यु नामित है
भूख
भावनाओं के समंदर से
क्षणिकाएं निकाली जा सकती हैं
रोटियां नहीं
और पेट की सलवटें मिटाने के लिए
रोटियों की दरकार है
मुखौटे
लोगों पास मुखौटे हैं
जो समय व अवसर अनुसार
बदलाते रहते हैं
हंसाने के लिए या मनोरंजन के उद्देश्य से नहीं
और जिनके पास मुखौटे नहीं हैं
वे बाकी सब के लिए
हास्य का पात्र हैं
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