देश की माटी हमसे करे सवाल,
क्यों कर रहे हो मेरा,हाल बेहाल?
तेरे खेत,तेरे गाँव की आवाज,
कहाँ गये तेरे वादे और सौगात।
कहाँ गये वो आदर्श जो तूने दिखाए,
सपनों की तस्वीर जो तुमने सजाए।
मेरी गलियों में गूंजे न मौज भरे गीत,
सुनाई देती नीरस बातें, निरर्थक प्रीत।
मेरी जमीं पर उगते है अब सिर्फ सवाल,
क्या सच में बुन रहे हो,नयी राह की चाल।
कहाँ गया तेरा स्नेह-स्वाभिमान,
माटी फिर पूछे, हमसे वही सवाल।
आओ, फिर से वो प्यार बनायें,
तेरे हर कोने को सम्मान से सजायें।
सपनों को फिर से सजाना होगा,
तेरे गर्व को पुनः लौटाना होगा,!
सीमा रानी पटना
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