सतोष शर्मा साहिल की कविता तुम्‍हारी प्रतीक्षा

तुम्हारी प्रतीक्षा"

दिल उदास है,
क्योंकि उसकी प्रसन्नता थक चुकी है,
यादों के समंदर में
गोते खाते हुए,
सपनों के तपते रेगिस्तान में
चलते हुए,
हताश
निराश
और  शायद अकेला....
फ़िर भी
जन्म जन्मांतरों की पगडंडी के
कठिनतम मोड़ पर
खड़े होकर
कर रहा है

तुम्हारी "प्रतीक्षा".........

--"संतोष शर्मा साहिल"

 


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