देश की माटी करे सवाल-किरण बाला



बात- बात पर वाद विवाद
मार पीट व दंगे फसाद
बेतुके व बेमेल  सवाल
छीना झपटी चीख पुकार
क्या था? क्या हो गया तू मानव
देश की माटी करे सवाल

कर पढ़ाई को दरकिनार
बिके किताब बीच बाजार
नशे के वो हो चले शिकार
उठाना था जिन्हें देश का भार
हो चला गुमराह क्यों बालक मन
देश की माटी करे सवाल

भक्षक बना है रक्षक आज
भ्रष्ट आचरण भ्रष्ट समाज
दो चेहरे के अब  इंसान
मैली नज़रें सफेद परिधान
मानव से क्यों हो गया रे दानव
देश की माटी करे सवाल

तपती धरती सूखे वन बाग
प्रदूषित वायु जल का अभाव
वृक्षों की कटाई बारंबार
कहीं सूखा तो कहीं है बाढ़
कुल्हाड़ी खुद पे क्यों चला रहा रे मानव
देश की माटी करे सवाल

किरण बाला (चण्डीगढ़)


 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ