हरि-हरि बरखा भइल मतवारी, बढ़ल बेकरारी ए हरि।
गँउवा में रहनी त झूलवा झूलत रहीं,
सखिया-संघतिया संग कजरी गवत रहीं।
हरि-हरि भींजे बदन रतनारी, आफत बड़ी भारी ए हरि।
हरि-हरि बरखा भइल मतवारी, बढ़ल बेकरारी ए हरि ।।
असो के सावन में पियवा के साथ बा,
अंबर से धरती तक बरखा के नाच बा।
हरि-हरि बरसे बदरिया त बूनिया परेला मोर अटारी ए हरि।
हरि-हरि बरखा भइल मतवारी, बढ़ल बेकरारी ए हरि ।।
सोरहो सिंगार अउरी होठवा प लाली,
केहू ना देखल नएका कनवा के बाली।
हरि-हरि झट से मोबाइल उठाईं,आ सेल्फी उतारीं ए हरि।
हरि-हरि बरखा भइल मतवारी, बढ़ल बेकरारी ए हरि।।
गरजे बदरिया त कड़के बिजुरिया,
जुगनू जे चमके त होखे अंजोरिया।
हरि-हरि बेला फुलाए रात सारी, गमके फुलवारी ए हरि,
हरि-हरि बरखा भइल मतवारी, बढ़ल बेकरारी ए हरि।
गीता चौबे गूँज
बेंगलूर
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