खरगोन को पश्चिम निर्माण की नगरी बोला जाता है यह नवग्रह
की नगरी है इसे निमाड़ कहने का मुख्य कारण यह है कि यह नीम के पेड़ अधिक
पाए जाते हैं। नीम से ही निमाड़ बना । सावन मास में भगवान शिव की आराधना की
जाती है, यहां पर सावन में
कावड़ में जल भरकर
शंकरजी को पैदल यात्रा करके चढ़ाया जाता है, इसके लिए गांव के गांव एक साथ
पैदल यात्रा करते हैं और नर्मदा का जल भरकर शंकरजी को पैदल चलकर ही चढ़ाने
जाते हैं और अपने मनोकामना मांगी जाती है, किसी की मनोकामना पूरी होने पर
भी जल चढ़ाया जाता है। हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार प्रत्येक व्यक्ति अपनी
अपनी जिम्मेदारी से कावड़ यात्रा करके जल चढ़ाया जाता है।जसी करनी वसी भरनी पोर्या
वात गाँठ बाँधी नहीं धरनी पोर्या
जाप्ता सी वापरजे ऐकs रे
यो सरी काँच की बरनी पोर्या
जी लिया जेतरो जीवणूँ थो
मरनs को ठाँय डर नी पोर्या
जिनगी का अनुभव सी सीख्या
वाच्यो एक अक्षर नी पोर्या
वारी-सारी को आवणु-जावणु
कोइ बी य्हाँ अम्मर नी पोर्या
माय-बाप जाँ रय खुसी सी रागी
वू घर सी बड़ो मंदर नी पोर्या
खरगोन को पश्चिम निमाड़ कहा जाता है तो यह निमाड़ी लोकगीत भाषा की कविता
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