‘‘कहानी-किस्से लिखता रहता है, काम तो रूपयों से चलता है ......... क्या रक्खा है कागज काले करने में? ..........’’, धनसिंह ने अपने दोस्त ज्ञानसिंह से बडी अकड़ और घमण्ड के साथ कहा।
‘‘अरे भाई, अपनी-अपनी रूचि है, मेरा काम तो चल ही रहा है, ज्यादा धन इकट्ठा करके क्या करेंगे ? मुझे लिखना-पढ़ना अच्छा लगता है, वो मैं कर रहा हूँ। तुझे पैसा चाहिए, तू कमाता रह’’ - ज्ञानसिंह ने विनम्रता से कहा।
दोनों टी.वी. देखते-देखते बात कर रहे थे, टी.वी. पर न्यूज फ्लेश होने लगी - ‘‘इस वर्ष का साहित्य रत्न पुरस्कार ज्ञानसिंह को दिया जावेगा।’’ न्यूज देखकर धनसिंह व्यंग्य से बोला - ‘‘कल तो तेरी फोटो अखबार में आयेगी।’’
ज्ञानसिंह कुछ कहता उससे पहले ही धनसिंह का मोबाईल बजा - ‘‘हेलो, हाँ बेटा क्या बात है?’’ दूसरी तरफ से आवाज आई - ‘‘पापा, फैक्ट्री पर छापा पड़ा है, सारा नकली घी पकड़ लिया, अखबार वाले भी साथ है।’’ ज्ञानसिंह धीरे से बोला - ‘‘धनसिंह, कल तो तेरी भी फोटो अखबार में आयेगी ......।’’
अनिल कुमार जैन
आदर्श नगर ‘‘ए’’
सवाई माधोपुर (राजस्थान)
मोबाईल नं. 9462113435
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