उसकी लीला किसने जानी?
कभी कहीं पर आँधी आती,
कभी हवा मौन हो जाती।
कभी कहीं सूखा पड़ जाता
कहीं उफनता पानी,
उसकी लीला किसने जानी?
कभी गगन नीला हो जाता।
कभी बादलों से घिर आता,
कभी कहीं सूखा पड़ जाता,
कभी खूब बरसता पानी,
उसकी लीला किसने जानी?
कहीं सूखा कहीं बाढ़ है आती,
कुदरत अपना रंग दिखाती,
कभी बसंती मौसम आता,
ओढ़ चुनरियाँ धानी,
उसकी लीला किसने जानी?
बरखा अपना रंग दिखाती,
नदियाँ यौवन को छलकाती,
गली गली पानी भर जाता,
घुटनों घुटनों पानी,
उसकी लीला किसने जानी?
कमलेश शर्मा जयपुर
9829837212
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