डॉ. दीक्षा चौबे की कविता

 

आज सितारों से मेरी प्रिय माँग सजा कर:


आज सितारों से मेरी प्रिय माँग सजा कर

आज सितारों से मेरी प्रिय माँग सजा कर,

जनम-जनम के बंधन वाली रीति निभा दो ।


संग सदा सुख-दुख में रहना साथी बनकर,

जगमग दीपशिखा बनती द्वै बाती जलकर ।

मलय-गंध सम घुल जाएँ एक-दूजे संग,

निर्झरिणी ज्यों सरल-तरल,रहें न तनकर।

मोहन के अधरों पर सजी बाँसुरी जैसी,

बना संगिनी निर्मल पावन प्रीति निभा दो।।


धूप-दीप लोभान-महकता घर का ऑंगन,

खुशहाली के विहग-वृंद चहकें मन-उपवन।

प्रिय प्रेम-पुहुप बिखरा देना यूँ जीवन में,

ज्यों प्यासी क्षिति को सरसाने आए सावन।

अमर प्रेम चिर शिवा-शिवानी जैसे कर लें,

प्रेम-पुरातन ग्रंथों वाली नीति निभा दो।।



डॉ. दीक्षा चौबे

HIG1/33आदित्यनगर

दुर्ग छत्तीसगढ़ 

491001

फोन 9424132359


 

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