एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है-डां शीला शर्मा

          हर मानसिक स्थिति में सफलता की एक ही कुंजी है, और वो है एकाग्रता। संसार में जितने भी आविष्कार होते हैं और जो भी आज मानव ने मानव समाज को सुखी बनाने के लिए चकित करने वाले साधनों की खोज की है उन सब की सफलता की कुंजी उनमें एकाग्रता का होना है जहां आप अपने में एकाग्रता पैदा करेंगे वहां आप एक नया अविष्कार करेंगे एकाग्रता से आप सफलता की अंतिम सीढ़ी तक पहुंच सकते हैं जो काम कल आपके लिए कठिन था असंभव था वही काम मन में एकाग्रता आने पर आज सरल व सुलभ बन जाता है। परीक्षा कक्ष में बैठे विद्यार्थी के दिमाग में घूम रहे किसी गाने के विचार उसका ध्यान भंग कर सकते हैं।

बेहद जरूरी समझौता तैयार कर रहे व्यापारी को पत्नी के साथ हुई बहस का ख्याल परेशान कर सकता है। न्यायधीश, इस बात से विचलित हो सकता है कि सामने खड़ा किशोर, उसके बेटे जैसा दिखता है। एकाग्रता की कमी का प्रत्यक्ष प्रभाव कार्यक्षमता व परिणाम  पर पड़ता है। आमतौर पर लोगों को एकाग्र मस्तिष्क की सफलता के पीछे का कारण नहीं मालूम होता। एकाग्र मस्तिष्क, परेशानियों को ज्यादा तेजी से सुलझा लेता है। बल्कि, यह कहा जाए कि एकाग्र ऊर्जा के कारण परेशानियां खुद-ब-खुद गायब हो जाती हैं और कई बार उन्हें सुलझाने की आवश्यकता ही नहीं होती।  
एकाग्र मन अक्सर कम संकेंद्रित मस्तिष्क की तुलना में अवसरों को ज्यादा आकर्षित करता है। एकाग्र रहने वाले व्यक्ति को प्रेरणा भी मिलती है। एकाग्रता, हमारी शक्तियों को जागृत करती है और मुश्किलों को हटाकर हमारे लिए मार्ग तैयार करती है। एकाग्रता ही सफलता की एकमात्र कुंजी है। ध्यान के दौरान मस्तिष्क एकदम शांत और स्थिर होता है। योग की शिक्षा में आपको एकाग्रता विकसित करने का पाठ पढ़ाया जाता हैं। एकाग्रता का मतलब है, अपनी मानसिक व भावनात्मक ऊर्जा को दूसरे कामों में न लगाना। इसके अलावा, इसमें किसी एक विषय पर जागरुकता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को विकसित किया जाता है। आत्मविश्वास और एकाग्रता से छिपी हुई शक्तियों प्रकट होती है इससे जिस काम में भी हाथ डालेंगे उसमें सफलता निश्चित है।
एकाग्रता में ऊर्जा प्रवाह का प्रदर्शन देखा जा सकता है। जब एकाग्रता अधिक स्थायी हो जाती है तो यह अभ्यास का हिस्सा बन जाती है। योगी को उस वस्तु की पहचान हो जाती है, जो एकाग्रता के लिए जरूरी होती है। अभ्यास के साथ-साथ एकाग्रता को कोई बाहरी व्यवधान प्रभावित नहीं कर पाता। एकाग्रता के लिए यथार्थ को पहचानिए। हम अनंत प्रकाश, प्रेम व ईश्वरीय देन हैं। इन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखते हुए हमें एकाग्रता का स्तर विकसित करना चाहिए। एकाग्रता को प्रभावी बनाने के लिए हमें मस्तिष्क को नियत गति व स्थिरता की ओर केंद्रित करना होगा। इस अवस्था में हमारी इंद्रियां स्वत: स्थिर हो जाएंगी।
जब मस्तिष्क केंद्रित हो जाए, इसके द्वारा किया कोई भी कार्य सिद्ध होगा।
*समाप्त* 

परिचय
नाम- डॉ शीला शर्मा
(02)  उपनाम यदि कोई हो तो- बबली
(03)  जन्‍मतिथि-04/09/1978
(04)  पति/पिता का नाम- श्री संदीप शर्मा
(05)  माता का नाम- के बी तिवारी 
(06) मूल निवासी केवल गॉंव का नाम व जनपद लिखें-  बिलासपुर छग
(07) वर्तमान निवास का पता- गया बिहार न्यू सरकंडा बिलासपुर
(08) मोबाइल नम्‍बर-9589591992
(09) ईमेल-sheelabsp4@gmail.com
(10) शैक्षिक योग्‍यता-MA(Sanskrit,Hindi), L.Lb. MEd, PG diploma in career counselor, life skills engineering, PGDCA, PhD in education.
(11) विवाह की वर्गगाँठ- 30/4/2005
(12) व्‍यवसाय- व्याख्याता गवर्नमेंट स्कूल
(13) आपके दैनिक मनोरंजन का मुख्य साधन- मोबाइल, सोशल मीडिया
(14) मनपंसद घूमने की जगह- प्राकृतिक स्थल, पहाड़ नदी झरने
(15) मनपंसद परिधान- साड़ी, सलवार सूट
(16) मनपंसद व्यंजन- साद़ा भोजन 
(17) साहित्यिक/कला गुरू का नाम- मेरे माता-पिता
(18) मनपंसद काम- लेखन पाठन
(19) मनपंसद त्यौहार- दीपावली
(20)  लेखन, कला के अतरिक्‍त आपकी रूचि- खेलकूद में राज्य स्तरीय प्रमाण पत्र, सामाजिक कार्य
(21) आपकी प्रकाशित पुस्‍तकें केवल 7 का जिक्र करें  कवर, भू‍मिका एवं बैक कवर के साथ, सर बनाये हुए पुरस्‍कृत चित्र, अथवा अपनी कला के फोटो/वीडियो।
(22) आपको मिले सम्‍मान केवल 7 का जिक्र करें, जो रजिस्‍टर्ड संस्‍थाओं द्वारा ऑफलाइन लिये गये हो, तस्‍वीर के साथ-बिलासा नारी सम्मान, शिक्षक कला साहित्य सम्मान, शिकशा कला एवं साहित्य सम्मान, नारी सशक्तिकरण सम्मान, शिक्षक सम्मान।
(23)  आपके द्वारा किये जा रहे समाजिक कार्य- महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में
(24)  आप को इस जानें-पहचानें योजना की जानकारी किसके माध्यम से हुई। आपने इसे कितने को भेजा-श्रीखंड प्रताप सिंह के द्वारा
(25)  आपकी प्रमुख लेखन /कला विधा-गद्य लेखन
(26) फेसबुक प्रोफाइल/ यूटियूब चैनल अथवा अन्‍य सोशलमीडिया लिंक
(27) यदि आप के द्वारा कोई समाचार पत्र/पत्रिका, बेवसाइट का संचालन किया जाता है तो उसका नाम, स्‍थापना वर्ष एवं बेवसाइट लिंक
(28) आपका अनुभव वर्ष-25 
(29) आप हमारी पत्रिका से अपने शहर से जुड़ना चाहेगें- जुड़ गई हूं।
(30) समाज/पाठक/फैन के लिए आपका संदेश-जीवन में मौका हर किसी को मिलता है आवश्यकता है उस अवसर को पहचानने का पहचान गये तो आगे बढ़ गये नहीं पहचाने तो पछताते रह जाओगे।

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ