कविता :-(भारत की नारी ) सुन भारत की नारी तू मत बनना बेचारी। हार मान ना लेना तू तेरी जंग अभी है जारी। फूल नहीं बनना है त…
साहित्य सरोज साप्ताहिक आयोजन क्रम -2 शीर्षक...गुलाब कठिन बेहद जीवन डगर चल पाना नहीं कोई सरल वेदना का पीना पड़े जहर वक्…
(२)नि: शब्द वह कौन सी जगह ऐसी है जहां इंसान हो जाता स्तब्ध। ढूंढता मतलब कुछ शब्दों के पर रह जाता है नि: शब्द ।। यह जात…
आंख खुली अवनि तल पावा, दिव्य ज्योति इक दर्शन पावा। अबोध अज्ञानी बन कर हम, रमते दुनिया कुशल क्षेम पावा।। शनैः शनैः दृग प…
शरद ऋतु जा रहा, ऋतुराज बसंत आ रहा, पतझड़ के इस मौसम में, बसंत ऋतु खिलखिला रहा। सरसों के फूल खिले, चकवा- …
फिर से आई ऋतुराज बसंत, धरती पर लाई नया वसंत। पीली सरसों खेतों में लहराए, कोयल मीठे गीत सुनाए। फूलों की गंध हवा…
बसंत पीत-पीत खेत खलिहान पीत वर्ण में शोभित उद्यान पीत चुनर वसुधा लहराये पीत वर्ण उसका परिधान । कलियों पर भौंरे मंडराए प…
मधुरिम-बसन्त तुम आये हो नव-बंसत बन कर मेरे प्रेम - नगर में दुष्यंत बन कर कुंठित हो चुकी थीं वेदनाएँ बिखर गई थीं सम्…
साप्ताहिक लेखन- 01 मौसम ने फिर करवट बदली है धरती ने श्रृंगार नया सजाया है प्रेम का नया संदेशा लेकर ऋतुराज फिर आया है। …
आज वही पीड़ा फिर पहले जैसी है तन्हाई में उलझन पहले जैसी है करवट में कटती रातें अब भारी हैं हालत फिर बेचारे वाली जैसी है…
हास्य की शुद्ध रचना भुलक्कड़ बनारसी की कलम से-------- (1) जब से हुआ हूँ पठ्ठा, बापू सनक गए हैं। बाबू तो जानें क्यूँ, ए…
प्यार का मैं बटोही अकिंचन प्रिये। तुम्हीं ने दिया जो लुटाया उसे।। निकट जान शशि से मिलन की घड़ी। कुमिदिनी लिए रात सकुची …
~त्रिभंगी छंद मातु पिता सेवा, मंगल मेवा, सारे जग से, काज बड़े। जीवन के दाता, अंतर नाता, सारी दुनिया, पैर पड़े।। माता की म…
ग़जल संसद में संवाद कबीरा, करते हैं जल्लाद कबीरा| चुप रहना बैकुंठ मिलेगा, बस मरने के बाद कबीरा| इक लंगोटी …
आनंद प्रथम निर्णय जीवन, चलते रहना प्रगति जीवन, साथ रखो गम का भार कुछ ताने, तानों का सार, तुम कुछ कर सको, चलो …
"मेरा वतन " चाहा है तुम को चाहेंगे हरदम सब कुछ लुटाएंगे तुम पे ए वतन । सुन लो ए वतन -२ तुम पर करेगा जो कोई …
प्रीत नहीं जिस हिय मे छलके वह मनुष्य हृदय कैसे बन पाए अंतिम सांस तक कुत्ता भी ऋण चुकता कर जाता मर के प्रीत नहीं जिस हिय…
हवा चले मद्धम मनुहारी, प्रेम ध्वजा फहराएँगे । पीली पीली सरसों फूली, गीत बसंती गाएँगे।। ठंड कड़ाके की अब बीती, छटा सुह…
झूलों - फूलों का यह घर, कितना प्यारा - प्यारा है । आओ बच्चों तुम्हें बताएं, किसका खेल ये सारा है ।। कैसे …
रणभूमि में अर्जुन के सारथी संत बने हैं, मामा कंस के जीवन का बस अंत बने हैं, देवकी की कोख से हुआ जिनका जन्म अधर्म का नाश…
साजन ही तो किस्मत है जिनके इंतजार में जगती हूं। आज भी आपके इंतजार में हर पल रह जोहती हूं। दरवाजे पर खड़ी गुमसुम सी आपक…
मैं हूं भारत की बेटी,बल के वेदी पर हूं चढ़ती, पढ़कर इतिहास वीरांगनाओं की हर- पल हूं जीती- मरती, कैसे करूं उनके त्याग ब…
प्यार की बदली जिस पर बरसी, क्यूँ वो दिल सहरा निकला क्या उम्मीद लगा रक्खी थी औ' क़िस्मत में क्या निकला और नहीं था कु…
सखियों से इजाज़त माँग के आई थी बाबुल की दहलीज़ लॉँघ के आई थी मैके की चौखट से अश्कों को बाँथ के आई थी नई-नवेली दुल्हन जब…
वाराणसी: गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका साहित्य सरोज के 11वें स्थापना दिवस का कार्यक्रम व…
आप लोगो में बहुत लोगों के पास फेसबुक एकाउंट के साथ-साथ कई सोशल मीडिया एकाउंट है। लेकिन जब कभी आपको अपना परिचय किसी क…
''साहित्यकार व कलाकार होगें सम्मानित, विशेष उपलब्धि के लिए 20 लेखक/रचनाकारों एवं समाजसेवीयों, पत्रकारों को …
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