हवा चले मद्धम मनुहारी, प्रेम ध्वजा फहराएँगे ।
पीली पीली सरसों फूली, गीत बसंती गाएँगे।।
ठंड कड़ाके की अब बीती, छटा सुहानी छायी।
सुप्त पेड़ पौधे सब जागे, लावण्या मन को भायी।।
मानव पशु आह्लादित होते, दुःख दर्द बिसराएँगे।
पीली पीली सरसों फूली, गीत बसंती गाएँगे।।
सजी मंजरी अमराई में, सुरभित उपवन होता।
जप तप पूजन करते प्राणी, हृदय दिव्यता में खोता।।
लदे बाग फूलों से सारे, भँवरे देखो मँडराएँगे।
पीली पीली सरसों फूली, गीत बसंती गाएँगे।।
चिड़ियाँ चहकें कोयल कूके, कानों में मधु सा घोले।
कण-कण हर्षित हो धरती का,सुखदायी बातें बोले।।
पर्वों का मौसम है आया, खुशियाँ खूब मनाएँगे।
पीली पीली सरसों फूली, गीत बसंती गाएँगे।।
सीमा वर्णिका, कानपुर
73764 98172
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