बसंत- पूनम

बसंत

पीत-पीत खेत खलिहान
पीत वर्ण में शोभित उद्यान
पीत चुनर वसुधा लहराये
पीत वर्ण उसका परिधान ।

कलियों पर भौंरे मंडराए
पुष्पों से पुष्पित हो रहा वीरान
कोयल मधुर गीत सुनाए
प्रेम-प्रीत का कर रहा गुनगान ।

वसुंधरा मंद-मंद मुस्काए
आलिंगन के लिए खड़ा आसमान
मदमस्त पवन अल्हड़ता दिखलाए
ॠतु बसंत प्रेम का करता आह्वान ।

--पूनम झा 'प्रथमा'
   जयपुर, राजस्थान



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