"मेरा वतन "
चाहा है तुम को
चाहेंगे हरदम
सब कुछ लुटाएंगे
तुम पे ए वतन ।
सुन लो ए वतन -२
तुम पर करेगा जो
कोई गर सितम
ना छोड़ेंगे उसको
तोड़ेंगे उसके भरम ।
सुन लो ए वतन -२
पूजा है तुम को
पूजेंगे हर दम
मर के भी तेरी
हिफाजत करेंगे हम ।
सुन लो ए वतन -२
मेरे प्राणों से प्यारा
हे मेरा ये वतन
हम हंस के लुटाएंगे
अपने तन- मन -धन ।
सुन लो ए वतन -२
तुम से ना प्यारा
कोई दूजा है वतन
तुम ही मेरे दिल हो
और तुम ही हो धड़कन ।
सुन लो ए वतन -२
अनुपम सारे जग में
तुम ही हो ए वतन
आने ना देंगे हम
तुम पे कोई गम ।
सुन लो ए वतन -२
तुम सा ना कोई
ना प्यारा और वतन
चाहे कोई कितने भी
रखे दिल में भरम ।
सुन लो ए वतन -२
तुम से ही खुशियां
मिलती है हरदम
तुम से आनंदित
रहता है मेरा मन ।
सुन लो ए वतन -२
संजुला सिंह " संजू "
जमशेदपुर(झारखंड)
" देश द्रोही "
सुनो वतन के कुछ गद्दारों
दुर्दिन तेरा आएगा
जब भी अपने छोड़ वतन तू
दुश्मन से मिल जाएगा ।
अपने वतन से कर गद्दारी
चैन कहां तू पाएगा
जो रिपु वतन से हाथ मिलाया
गर्दिश में मिल जाएगा ।
कोई साथ ना देगा तेरा
जब तू अश्रु बहाएगा
हंसेंगे रिपु भी तेरे ऊपर
जब खून के आंसू रोएगा ।
देशद्रोह का काम किया गर
घर में ही लज्जित होगा
बच्चे भी थूकेंगे तुझ पे
शर्म से तू मर जाएगा ।
संदेशा फिर क्या तू देगा
अपनी अगली पीढ़ी को
जो आस लिए आएंगे धरा पे
पर होंगे विवश मर जाने को ।
तेरी करतूत ना जीने देगी
तेरी अगली पीढ़ी को
कह गद्दार बुलाएंगे सब
तेरे बच्चे और बीबी को ।
करेंगे नफरत तुझी से बच्चे
कैसे तू जी पाएगा
अपने घर - परिवार के आगे
तू क्या मुंह दिखाएगा ।
तू ना इसको झेल सकेगा
होगा द्रवित हृदय तेरा
बिना मौत ही मौत मरेगा
जो ना सुधर तू पाएगा ।
अभी संभल जा वक्त के रहते
वरणा तू पछताएगा
बाद तेरे कुछ हाथ ना आए
मिट्टी में मिल जाएगा ।
संजुला सिंह "संजू "
जमशेदपुर(झारखंड)
94500 40111
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