ग़जल
संसद में संवाद कबीरा,
करते हैं जल्लाद कबीरा|
चुप रहना बैकुंठ मिलेगा,
बस मरने के बाद कबीरा|
इक लंगोटी तो रहने दो,
करता हैं फरियाद कबीरा|
खून करे या डांका डाले,
राजा है आजाद कबीरा|
मुर्दो का भी सौदा करने,
बेठ गए दिलशाद कबीरा|
नाच नचाते मजलूमों को,
खूब हुए उस्ताद कबीरा|
पाप भला यूँ कर लेते हैं,
गंगा जी हैं याद कबीरा
मृदुल कुमार सिंह, महाराजपुर, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश,
94128 20791
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